Khetri jhunjhunu (Raj.)
खेतड़ी areaजयपुर से 150 किमी तथा दिल्ली से करीब
180 किमी दूरी पर अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों की
बाहों में सिमटा है,
जहाँ देश का एक मात्र ताँबा उत्पादक संस्थान 'हिंदुस्तान
कॉपर लिमिटेड' है। वहीं यह क़स्बा अपनी ऐतिहासिक
पहचान के कारण भी दर्शनीय है। यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं-
रामकृष्ण मिशन, भोपालगढ़ का दुर्ग, पन्ना शाह का तालाब,
अजीत सागर, बागोर का क़िला, भाटीयानीजी का मन्दिर
आदि।
राजा खेत सिंह निर्वाण ने खेतड़ी की स्थापना की,
इस नगर को शेखावत राजपृतों ने जीत लिया । खेतड़ी के
राजा अजीत सिंह शेखावत एक दूरदर्शी और बुद्धिमान
शासक थे, महाराजा अजित सिंह शिक्षा, चिेकित्सा, जल
प्रबंधन के प्रति समर्पित थे तभी उस समय खेतड़ी में
राजकीय जयसिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय और राजकीय
अजीत अस्पताल का निर्माण हुआ तथा आसपास के क्षेत्र में
कई बांध और तालाब बनवाये गए। उन्होंने किले, महल और
मंदिर भी बनवाए।
स्वामी विवेकानंद भी राजा अजीत सिंह के करीबी मित्र थे ।
उनके रिश्तों के कारण आज खेतड़ी का नाम विश्व के
मानचित्र में दर्ज है, खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने ही
नरेंद्रनाथ दत्त का नाम स्वामी विवेकानंद रखा तथा उनका
केसरिया साफा भी यहाँ की देन है।
1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भाग लेने
के लिये वित्तिय सहयोग भी राजा अजीतसिंह ने ही किया
था, व्याख्यान के बाद स्वामी जी लौट कर सर्वप्रथम खेतड़ी
ही आये थे जहाँ उनके स्वागत में घी के दीपक जला कर
दीपावली मनाई गई थी।
मेमोरियल के रूप में खेतड़ी में राम कृष्णमिशन की
स्थापना की गई जिसे अब देश के पांचवे और प्रदेश के
पहले स्वामी विवेकानंद संग्रहालय में बदल दिया गया है ।
बहुत समय पहले, पंडित जवाहर लाल नेहरू के परिवार
के सदस्य भी खेतड़ी के राजा की नोकरी करते थे। नंदलाल
नेहरू कभी खेतड़ी की अदालत में दीवान थे। इसके
अलावा, मोतीलाल नेहरू (पंडित जवाहर लाल नेहरू के
पिता) शुरुआती दौर में खेतड़ी में रहते थे,
खेतड़ी areaजयपुर से 150 किमी तथा दिल्ली से करीब
180 किमी दूरी पर अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों की
बाहों में सिमटा है,
जहाँ देश का एक मात्र ताँबा उत्पादक संस्थान 'हिंदुस्तान
कॉपर लिमिटेड' है। वहीं यह क़स्बा अपनी ऐतिहासिक
पहचान के कारण भी दर्शनीय है। यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं-
रामकृष्ण मिशन, भोपालगढ़ का दुर्ग, पन्ना शाह का तालाब,
अजीत सागर, बागोर का क़िला, भाटीयानीजी का मन्दिर
आदि।
राजा खेत सिंह निर्वाण ने खेतड़ी की स्थापना की,
इस नगर को शेखावत राजपृतों ने जीत लिया । खेतड़ी के
राजा अजीत सिंह शेखावत एक दूरदर्शी और बुद्धिमान
शासक थे, महाराजा अजित सिंह शिक्षा, चिेकित्सा, जल
प्रबंधन के प्रति समर्पित थे तभी उस समय खेतड़ी में
राजकीय जयसिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय और राजकीय
अजीत अस्पताल का निर्माण हुआ तथा आसपास के क्षेत्र में
कई बांध और तालाब बनवाये गए। उन्होंने किले, महल और
मंदिर भी बनवाए।
स्वामी विवेकानंद भी राजा अजीत सिंह के करीबी मित्र थे ।
उनके रिश्तों के कारण आज खेतड़ी का नाम विश्व के
मानचित्र में दर्ज है, खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने ही
नरेंद्रनाथ दत्त का नाम स्वामी विवेकानंद रखा तथा उनका
केसरिया साफा भी यहाँ की देन है।
1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भाग लेने
के लिये वित्तिय सहयोग भी राजा अजीतसिंह ने ही किया
था, व्याख्यान के बाद स्वामी जी लौट कर सर्वप्रथम खेतड़ी
ही आये थे जहाँ उनके स्वागत में घी के दीपक जला कर
दीपावली मनाई गई थी।
मेमोरियल के रूप में खेतड़ी में राम कृष्णमिशन की
स्थापना की गई जिसे अब देश के पांचवे और प्रदेश के
पहले स्वामी विवेकानंद संग्रहालय में बदल दिया गया है ।
बहुत समय पहले, पंडित जवाहर लाल नेहरू के परिवार
के सदस्य भी खेतड़ी के राजा की नोकरी करते थे। नंदलाल
नेहरू कभी खेतड़ी की अदालत में दीवान थे। इसके
अलावा, मोतीलाल नेहरू (पंडित जवाहर लाल नेहरू के
पिता) शुरुआती दौर में खेतड़ी में रहते थे,
Comments
Post a Comment